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मनमर्ज़ी डाइट से ऐसे करें बच्चों के खाने को मैनेज मनमर्ज़ी डाइट से ऐसे करें बच्चों के खाने को मैनेज

मनमर्ज़ी डाइट से ऐसे करें बच्चों के खाने को मैनेज


Surya Hospital

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Surya Hospital 9 Min Read | 521

बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है उनकी डाइट का अच्छा होना। अगर बच्चे की उम्र के अनुसार उनकी डाइट भी संतुलित हो तो उनका शारिरिक और मानसिक विकास अच्छी तरह से होता है। अच्छी डाइट से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वह बीमारियों से दूर रहते है। अब सवाल यह उठता है कि बच्चों के खाने को मैनेज कैसे करें ताकि वे स्वस्थ बने रहें। अमूमन बच्चे मार्किट के खानों को पसंद करते है जो उनके स्वस्थ्य के लिए बेहतर नहीं होते है। ऐसी स्तिथि में बच्चों के माता-पिता की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वे अपने बच्चों की डाइट को ऐसा रखें कि वह उनकी मनमर्ज़ी का भी हो और पौष्टिक भी। बच्चों की उम्र के अनुसार वेट मैनेजमेंट #पीडियाट्रिकवेटमैनेजमेंट पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है।

खाना हो पौष्टिक

बच्चों के विकास के लिए क्या जरूरी होता है? बच्चों का पौष्टिक खाना उनके विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि पौष्टिक खाने को बच्चे पसंद नहीं करते है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बच्चों को इस तरह का खाना अच्छा नहीं लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योकि बच्चों को पहले से ही मार्किट के बने भोजन जैसे कैंडी, आइस्क्रीम, टॉफी व विभिन्न प्रकार के जंक फूड की आदत लग जाती है। इन खानों की आदत लगने के बाद वे किसी अन्य प्रकार का खाना पसंद नहीं करते है। इसलिए यह ज़रूरी है कि शुरुआत से ही बच्चों को पौष्टिक आहार की आदत डाले। बाहर के खाने से परहेज़ कराएं अगर उन्हें पौष्टिक खानों की आदत होगी तो आगे का सफर उनके लिए आसान रहेगा। विशेषज्ञ का मानना है कि छोटे बच्चों को गलती से भी बाहर का खाना नहीं खिलाएं। बच्चों को कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड, केक, चाउमीन, सोडा, आइस्क्रीम, कैंडी आदि से जितना दूर रखा जा सके रखें। अगर बच्चों को इस प्रकार के खाने की लत पड़ गई तो वे बार-बार खाने की जिद करेंगे। इन सभी चीजों में अत्याधिक  मात्रा में नमक, शुगर, केमिकल और वसा होते है। जो बच्चों को नुकसान पहुंचाते है और उनमे कई तरह की बीमारियां पैदा कर सकते है। अगर बच्चों का वज़न बढ़ रहा हो तो उनको अपना वज़न संतुलित करने के लिए #जयपुरमेंपीडियाट्रिकवेटलोसकेलिएहॉस्पिटल से संपर्क करना चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि दो साल से अधिक उम्र का बच्चा हर वह चीज खा सकता है जो व्यस्क खाते है। इसलिए इस उम्र के बच्चों की डाइट में पौष्टिक आहार को ज़रूर शामिल करें। पौष्टिक आहार वाले खाने दिन में तीन से चार बार खिलाएं। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के उनकी डाइट में सुपरफूड जरूर शामिल करने चाहिए। बच्चों की हेल्थ के लिए दूध, दही, मेवा, फल-सब्जियां, दालें और अंडे जैसी चीजें जरूरी होनी चाहिए। बच्चे की डाइट में दूध का इस्तेमाल सबसे जरूरी है। इससे बच्चे को भरपूर कैल्शियम और विटामिन्स मिलते है। दूध में फास्फोरस और कैल्शियम होता है जो हड्डी, नाखूनों और दांत को स्वस्थ रखता है। बच्चों को मेवा ज़रूर खिलाना चाहिए। रोज बादाम, काजू, अंजीर और अखरोट उचित मात्रा में देने चाहिए। दिमाग के विकास के लिए बादाम और अखरोट को सबसे जरूरी माना जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर अंडा भी बच्चों की हेल्थ के लिए जरूरी है। केला एक सुपर फूड है जिसे बच्चों को जरूर खिलाना चाहिए। केले में विटामिन B6, विटामिन C, विटामिन A, मैग्नीशियम, पोटेशियम, बाओटिन और फाइबर होता है। घी बच्चों के दिमागी विकास के लिए जरूरी है। बच्चो के संपूर्ण विकास के लिए फल और सब्जियां बहुत जरूरी होते है। फल और सब्जियों से शरीर को एंटीऑक्सीडेंट्स मिलते है।  जिससे शरीर कई तरह के संक्रमणों और बीमारियों से बचता है। फल और सब्जियों में भरपूर पोषक तत्व, विटामिन और फाइबर होता है।  फाइबर से भरपूर ओट्स आपको कई फायदे देता है। बच्चों की डाइट में ओट्स के साथ-साथ बैरीज भी जरूर शामिल करने चाहिए। बैरीज का स्वाद बच्चों को काफी पसंद आता है। ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी और रासबेरी में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स होते है। इनमें पोटेशियम, विटामिन सी, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट भी होता है। दिमाग और शारीरिक विकास के लिए बेरी बहुत फायदेमंद है। बच्चे को चॉकलेट, चिप्स या फास्ट फूड नहीं खिलाएं। अगर मां अपना दूध नहीं पिला रही है तो पौष्टिक आहार बहुत ही ज्यादा जरूरी है। दूध के बने पदार्थ का सेवन बच्चों को कराएं। बच्चों की डाइट में दूध, दही, मटर, हरी सब्जी, अंडा, चावल इत्यादि जरूर शामिल करें।

बच्चों को खाने के लिए कैसे प्रेरित करें ?

बच्चों के पेरेंट्स के लिए ज़रूरी है कि बच्चों के पौष्टिक खाने की एक स्ट्रेटेजी बनाएं। बच्चों के बर्तन साफ-सुथरे व खूबसूरत होने चाहिए। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार बच्चों को खिलाना चाहिए। बच्चे को खाना खिलाते समय हमेशा उनके सामने बैठे व उनसे बातचीत करते रहें। अगर बच्चा खाने के लिए मना करे तो उसे उस समय खाने के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। कुछ समय के बाद फिर से खाना खिलाना चाहिए। कुल मिलाकर बच्चों को शुरुआत से ही खाने में पौष्टिक आहार देना चाहिए। कम उम्र से ही उनको फल व हरी सब्जियों का सेवन करने की आदत डालनी चाहिए। बाहर का खाना कम से कम या कोशिश करें बिल्कुल भी उन्हें नहीं खिलाना चाहिए।

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